Movie Name: | टर्निंग 30 |
Critic Rating: | |
Viewer Rating: | |
Star Cast: | गुल पनाग,पूरब कोहली,सिद्धार्थ मक्कड़ |
Director: | अलंकृता श्रीवास्तव |
Producer: | सिद्धार्थ सुहास |
Music Directer: | |
Genre: | सोशल/कॉमेडी |
कहानी टर्निंग 30 कहानी:फिल्म की कहानी है नैना (गुल पनाग)की जिसकी लाइफ में 30 का पड़ाव पार करते ही कई बदलाव आ जाते हैं|उसका दिल टूट जाता है और दूसरी ओर उसका करियर भी डगमगाने लगता है|फिल्म एक अपरिपक्व महिला के जिम्मेदार बनने की कहानी है|इस दौरान उसकी जिंदगी में कई उतार चढ़ाव आते हैं मगर हार न मानते हुए अंततः वह मंजिल पा ही जाती है| रिव्यू:प्रकाश झा और अलंकृता श्रीवास्तव बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस फिल्म के जरिए ऐसे विषय को उठाया जिसपर ज्यादा फिल्में अब तक नहीं बनी|फिल्म का पहला भाग गुल पनाग पर ही केन्द्रित है जो ढलती उम्र,ब्रेक अप और करियर में उतार चढ़ाव से परेशान है|बीच में फिल्म की रफ़्तार काफी धीमी हो जाती है मगर जीवंत संवाद फिल्म से दर्शकों को जोड़े रखता है|फिल्म का अंत काफी सुखद होता है मगर उसे काफी चलताऊ तरीके से फिल्माया गया है|इसे अगर औरपरिपक्व तरीके से फिल्माया जाता तो यह और प्रभावशाली हो सकता था|फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं| स्टोरी ट्रीटमेंट:'टर्निंग 30 ' महत्वपूर्ण दृश्यों और संवाद का मिल जुला रूप है जिससे आप खुद को जोड़कर देख सकते हैं कि जब आप 30 साल के होंगे तो आपको किन परेशानियों का सामना करना पड़ेगा| सोचिये अगर आप एक लड़की हैं और 30 की उम्र में ढलते यौवन और जॉब खो देने की वजह से जब आपको कोई साथी न मिले तो आपको कैसा लगेगा|मगर गुल को सारी परेशानियों से लड़ते हुए एक परिपक्व महिला बनते देखना काफी दिलचस्प है| स्टार कास्ट:फिल्म में गुल पनाग का अभिनय जानदार है वो 30 की उम्र के पड़ाव पर पहुंच रही एक महिला की उलझन को बखूबी दर्शाने में कामयाब रही हैं|उनका स्टाइल सेन्स,छोटे छोटे बाल उनके केरेक्टर को और निखारने में कामयाब रहे हैं|पूरब कोहली ने साहिल के किरदार को सहजता से निभाया है|वह पहले तो नैना को सिर्फ एक सेक्स की पूर्ति करने का जरिया समझता है मगर बाद में उससे सच में प्यार करने लग जाता है| निर्देशन:नयी निर्देशिका अलंकृता श्रीवास्तव ने एक नए विषय पर फिल्म बनाई है जो काबिले तारीफ है|उन्होंने फिल्म के माध्यम से एक छुपे विषय को उठाने की कोशिश की है|हालाँकि फिल्म की कहानी एक सीमित और उच्च वर्ग के दर्शकों को ही ज्यादा रास आयेगी मगर इससे अलंकृता के कमाल के निर्देशन की झलक दिख गई है| डायलॉग्स/सिनेमाटोग्राफी/म्यूजिक:फिल्म के संवाद हार्डहिटिंग हैं खास तौर से जिस प्रकार वह एक्टर्स के द्वारा बोले गए हैं|सिनेमाटोग्राफी भी अपना ध्यान खींचती है खास तौर से जिस प्रकार से कैमरा एंगल्स लिए गए हैं वह काफी अलग और प्रभावशाली हैं|फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है और टाइटल ट्रेक 'टर्निंग 30' अपीलिंग है|'सपने' गाना एक अच्छा साउंडट्रेक है| अप्स और डाउन्स:एक अच्छी लिखी हुई और निर्देशित फिल्म जो 30 + महिला के जीवन के उतार चढ़ाव को बखूबी दर्शाती है|गुल पनाग की सधी हुई एक्टिंग और बेहतरीन स्क्रीनप्ले फिल्म की जान हैं|प्रकाश झा जो कि एक सीमित विषय और गंभीर विषय पर फिल्म बनाने के लिए जाने जाते हैं उनके प्रोडक्शन में एक महिला केन्द्रित फिल्म बनना काफी अलग और हटकर लगता है|मगर फिल्म सीमित और उच्च वर्ग को ध्यान में रखकर बनाई हुई ज्यादा लगती है इसलिए हर एक वर्ग को जोड़ने में नाकामयाब रहेगी| आपकी रेटिंग इसे पढ़ने के बाद आप फिल्म को क्या रेटिंग देना चाहेंगे? क्या फिल्म की कहानी का विषय आम दर्शकों को खींचने का दम रखता है? नीचे कमेंट बॉक्स में आप अपनी राय भी लिख कर सभी दर्शकों के साथ साझा कर सकते हैं। |
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